भारत तालिबानी व्यवस्था की तरफ बढ़ रहा है


पहले खान-पान को मुद्दा बनाकर लोगों की आजादी को लूटने की कोशिश हुई, उसके बाद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला,अब रहन-सहन निशाने पर है.




गिरिजेश वशिष्ठ



मैं अक्सर धार्मिक कट्टरता की बात करता था तो लोग टाल देते थे. कुछ लोग उसे मोदी का विरोध कहकर खारिज कर देते थे. मैं देसी तालिबान कहता था तो कहा जाता था कि आप को पाकिस्तान चले जाना चाहिए. ये सब इसी फेसबुक की वॉल पर हुआ है. मैंने बार-बार लोगों को चेताया कि आप जिसे अपने और पराये धर्म के तौर पर देख रहे हैं वो दरअसल एक ही बात है. मैंने आगाह किया था कि जिस दिशा में चीजें जा रही है वो भविष्य में आपकी निजी आजादी और आपके निजी जीवन में दखलंदाजी में तब्दील होंगी. बार-बार कहा कि आपके कपड़े पहनने के अंदाज पर भी सरकार अपने नियम बनाएगी. अब नतीजे सामने आने लगे हैं.
याद कीजिए महिलाओं के लिए अफगानिस्तान में तालिबान ने बुर्का पहनना अनिवार्य कर दिया था. कहा जाता था कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए जरूरी है. ये भी कानून बनाया गया कि महिलाएं या लड़कियां किसी पुरुष के साथ ही घर से बाहर निकलें. अब भारत में भी इससे मिलती-जुलती बंदिशें शुरू हो गई हैं. फर्क सिर्फ इतना है कि यहां शुरूआती बातें हैं लेकिन इसके बाद भी निजी जिंदगी में दखलंदाजी की झलक दिखनी शुरू हो गई है. सबसे ताजा आदेश है शिक्षा विभाग का आदेश, टीचर से कहा गया है कि वो स्कूल में टी शर्ट पहनकर न आएं. टीशर्ट को अमर्यादित परिधान बताया गया है. कहा गया है कि टीचर स्कूल में मोबाइल का इस्तेमाल न करें.

इससे पहले सूबे के चीफ मिनिस्टर योगी आदित्यनाथ ने लोगों के गुटका खाने पर रोक लगा दी थी. इससे पहले भी धूम्रपान पर रोक थी लेकिन जहां धूम्रपान पर रोक थी वहीं अलग से जगह तय की गई थी जहां लोग धूम्रपान कर सकें. अगर देश में कोई चीज कानूनन मान्य है सरकार उस पर टैक्स लगाकर करोड़ों अरबों कमाती है तो उसका सेवन गैर कानूनी तो नहीं होगा ना. हां इतना जरूर हो सकता है कि आप इसका खयाल रखें कि उससे दूसरों को परेशानी न हो.
स्कूल में रोजाना 1 घंटे प्रार्थना का भी आदेश आया है. इस आदेश पर ज्यादा कुछ लिखना आफत मोल लेने से कम नहीं होगा. इसलिए इसे यहीं छोड़ता हूं.
सिर्फ इतना कहता हूं कि लोगों को अब समझना होगा. पहले खान-पान को मुद्दा बनाकर लोगों की आजादी को लूटने की कोशिश हुई. उसके बाद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला, बार-बार ये संदेश दिया गया कि देश के खिलाफ बोलना ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है. इस बात पर मुंह खोलने भर पे हमले बोल दिए गए. एक व्यक्ति और सोच का विरोध देश का विरोध घोषित कर दिया गया. इसके बाद खान पान पर तरह तरह की बंदिशें लगाई गईं, अब रहन-सहन निशाने पर है.
यहां मामला किसी खास धर्म या जाति के लोगों का नहीं है. यहां मामला संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों पर है, इन पर धर्म आधारित व्यवस्थाएं लगातार अतिक्रमण करती रहती हैं. काम करने का तरीका समान है चाहे वो तालिबान हों या भारतीय कट्टरवादी. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो किस धर्म के नाम पर आजादी का गला दबा रहे हैं लेकिन सभी का तरीका एक है. बस धर्म बदल जाता है. भारत में शुरुआत है इसे रोकना अभी संभव है, कुछ समय बाद रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा और स्वास्थ्य की बातें लोग भूल जाएंगे. यही सब होने लगेगा. आज आप बोल सकते हैं. बाद में घुटन भरी तो फिर इतनी आवाज भी नहीं निकल सकेगी. सरकार कोई भी हो लोगों की आजादी से नहीं खेल सकती.

साभार- ichowk


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